मेरा होश उड़ाने की तेरी आदत सी हो गयी है,
मेरा दिल धड़काने की तेरी आदत सी हो गयी है,
इश्क़ करना है तो जरा आहिस्ता- आहिस्ता कर,
तुझे रोज निहारने की मेरी आदत सी हो गयी है।
Mera hosh udane ki teri aadat si ho gayi hai,
Mera dil dhadkane ki teri aadat si ho gayi hai,
Ishq karna hai to jara aahista- aahista kar,
Tujhe roj nikharne ki meri aadat hi ho gayi hai.
©नीतिश तिवारी।
मेरा दिल धड़काने की तेरी आदत सी हो गयी है,
इश्क़ करना है तो जरा आहिस्ता- आहिस्ता कर,
तुझे रोज निहारने की मेरी आदत सी हो गयी है।
Mera hosh udane ki teri aadat si ho gayi hai,
Mera dil dhadkane ki teri aadat si ho gayi hai,
Ishq karna hai to jara aahista- aahista kar,
Tujhe roj nikharne ki meri aadat hi ho gayi hai.
©नीतिश तिवारी।
14 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-02-2019) को "अपने घर में सम्भल कर रहिए" (चर्चा अंक-3259) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर पंक्तियां
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 27 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteवाह !! बहुत ख़ूब
ReplyDeleteसादर
आपका शुक्रिया।
Deleteबहुत खूब..... ,सादर नमन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteवाह, बहुत खूब
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।