शहीदों के बलिदानों का कर्ज हम कैसे चुकाएंगे,
क्या नए हिन्दुस्तान में हम अपना योगदान दे पाएंगे।
वीर सपूतों ने दिलवाई हमें नयी आज़ादी थी,
उनकी वीरता के बदौलत अंग्रेजों की शामत आयी थी।
कितने कष्ट सहे उन्होंने कितनी गोली खाई थी,
भारत माता की खातिर जान बाज़ी पर लगाई थी।
नमन उन वीर सपूतों को जो हमारे खातिर शहीद हुए,
आज़ाद भारत के लिए फाँसी के तख्ते पर झूल गए।
©नीतिश तिवारी।
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15 Comments
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteनमन
ReplyDeleteशहीदों को नमन। मेरी कविता पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया।
DeleteNice line..👌👌🇮🇳
ReplyDeleteThanks a lot.
Deleteबहुत सुंदर ,शहीदों को सादर नमन
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-03-2019) को "चमचों की भरमार" (चर्चा अंक-3284) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
DeleteSunder kavita
ReplyDeleteDhanywaad.
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDelete👌👌👌👌waah
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।