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काश तुम बेवफ़ाई ना करती,
मजबूरियाँ ना गिनाती,
फिर हम एक दूजे के होते,
नदी किनारे सीप से मोती चुगते,
तन्हाई को मात देते,
ख्वाबों में हसीन सपने देखते,
एक दूसरे में समा जाते,
मोहब्बत के गीत गाते।
उन लम्हों को मैं सहेज पाता,
जो तेरे संग बिताए थे,
उन गलियों में फिर से जा पाता,
जो हमारे मिलन की गवाह थी,
काश!
©नीतिश तिवारी।
14 Comments
काश ये होता ... काश वो होता ...
ReplyDeleteपर ये काश कहाँ आ पता है जीवन में ... मन के शब्द लिखे हैं ...
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-03-2019) को "अपनी औकात हमको बताते रहे" (चर्चा अंक-3287) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteअच्छी है।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteबेहतरीन आदरणीय
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteकाश
ReplyDeleteकविता पढ़ने के लिए धन्यवाद।
Deleteबेहद खूबसूरत
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteसराहनीय कार्य
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।