Main din ka surymukhi tha wo thi raat-rani,
Har mausam mein zinda thi hamari prem kahani,
Kaun si khata huyi, kiski hamen nazar lagi,
Fir ek toofaan aaya, doob gayi kashti purani.
मैं दिन का सूर्यमुखी था वो थी रात-रानी,
हर मौसम में जिंदा थी हमारी प्रेम कहानी,
कौन सी खता हुई, किसकी हमें नज़र लगी,
फिर एक तूफान आया, डूब गई कश्ती पुरानी।
©नीतिश तिवारी।
10 Comments
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-03-2019) को "पथरीला पथ अपनाया है" (चर्चा अंक-3265) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार।
Deleteबहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी।
Deleteबहुत खूब ,लाजबाब ......
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।