देश में चुनावी महौल चल रहा है और हर बार की तरह इस बार भी नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है। कोई अपनी पुरानी विरासत बचाने के लिए जंग लड़ रहा है तो कोई अपनी सरकार के काम गिनाकर जनता से वोट माँग रहा है। और कुछ तो वही पुराना लॉलीपॉप फिर से देने को कह रहे हैं।
पर इन सबके बीच सवाल ये है कि क्या ये देश में होने वाला आखिरी चुनाव है? क्या इसके बाद हिंदुस्तान में तानाशाही होगी? क्या लोकतंत्र का वजूद समाप्त हो जाएगा? क्या संविधान को बदल दिया जाएगा?
मुझे पूरा विश्वास है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में तानाशाही की कोई जगह नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए। लेकिन हाल के दिनों में कुछ नेताओं द्वारा दिये गए बयान इस बहस को जन्म देते हैं।
नेताओं का कहना है कि नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बनेंगे तो 2019 के बाद देश में कोई चुनाव नहीं होगा। मतलब 2024 में फिर से प्रधानमंत्री के लिए चुनाव नहीं होगा और मोदी जी ही कई वर्षों तक राज करेंगे।
व्यक्तिगत तौर पर मैं कहूँ तो मोदी जी को बिल्कुल कई वर्षों तक प्रधानमंत्री बने रहना चाहिए मगर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के बाद।
इस बहस को जन्म दिया सबसे पहले केजरीवाल ने। केजरीवाल के अनुसार मोदी सरकार का रवैया हिटलर की तरह है। अमित शाह और मोदी की जोड़ी को नहीं हटाया गया तो ये दोनों मिलकर संविधान को बदल देंगे। केजरीवाल बिना किसी तर्क के मोदी जी को हटाने की बात कर रहे हैं सिर्फ इसलिए कि मोदी जी इन्हें पसंद नहीं। इस हिसाब से तो खुद केजरीवाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में है, क्योंकि दिल्ली के लाखों लोगों को ये भी पसंद नहीं हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए, देश के प्रधानमंत्री के बारे में इन्होंने कैसी कैसी भाषा का प्रयोग किया है, हम सभी भलीभांति परिचित हैं।
इसके बाद भाजपा के सबसे विवादित नेता साक्षी महाराज का बयान आया कि 2024 में चुनाव नहीं होंगे। लगता है कि नेताजी सांसद के साथ साथ ज्योतिषी भी हैं। साक्षी महाराज के बयानों का निष्कर्ष निकालें तो पूर्व में भी ये ऐसे ही विवादित बयान देते आये हैं। जिसका कोई तर्क नहीं होता। हर पार्टी में ऐसे नेताओं की कोई कमी नहीं है।
काँग्रेस पार्टी इसमें कहाँ पीछे रहने वाली थी। देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी यही लगता है कि ये देश का आखिरी चुनाव है। इस बात को उन्होंने जोर देकर कहा और पूरे विश्वास के साथ कहा।
सवाल ये है कि आखिर इन नेताओं को क्यों लगता है कि ये आखिरी चुनाव है? सच तो ये है कि विपक्ष के नेता हताशा में ऐसा बयान दे रहे हैं और पक्ष के नेता अति आत्मविश्वास में। लेकिन जनता अब जागरूक हो चुकी है। किसी पार्टी के चाहने से उसकी सरकार नहीं बनने वाली है। जनता जल्द ही तय करेगी कि 2019 में किसकी सरकार होगी। लोकतंत्र और संविधान बने रहना चाहिए।
जय भारत। जय हिंद।
ये भी पढ़िए : मंदिर वहीं बनाएंगे। मोदी, योगी और राहुल की बातचीत में हुआ खुलासा।
©नीतिश तिवारी।
पर इन सबके बीच सवाल ये है कि क्या ये देश में होने वाला आखिरी चुनाव है? क्या इसके बाद हिंदुस्तान में तानाशाही होगी? क्या लोकतंत्र का वजूद समाप्त हो जाएगा? क्या संविधान को बदल दिया जाएगा?
मुझे पूरा विश्वास है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में तानाशाही की कोई जगह नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए। लेकिन हाल के दिनों में कुछ नेताओं द्वारा दिये गए बयान इस बहस को जन्म देते हैं।
नेताओं का कहना है कि नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बनेंगे तो 2019 के बाद देश में कोई चुनाव नहीं होगा। मतलब 2024 में फिर से प्रधानमंत्री के लिए चुनाव नहीं होगा और मोदी जी ही कई वर्षों तक राज करेंगे।
व्यक्तिगत तौर पर मैं कहूँ तो मोदी जी को बिल्कुल कई वर्षों तक प्रधानमंत्री बने रहना चाहिए मगर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के बाद।
इस बहस को जन्म दिया सबसे पहले केजरीवाल ने। केजरीवाल के अनुसार मोदी सरकार का रवैया हिटलर की तरह है। अमित शाह और मोदी की जोड़ी को नहीं हटाया गया तो ये दोनों मिलकर संविधान को बदल देंगे। केजरीवाल बिना किसी तर्क के मोदी जी को हटाने की बात कर रहे हैं सिर्फ इसलिए कि मोदी जी इन्हें पसंद नहीं। इस हिसाब से तो खुद केजरीवाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में है, क्योंकि दिल्ली के लाखों लोगों को ये भी पसंद नहीं हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए, देश के प्रधानमंत्री के बारे में इन्होंने कैसी कैसी भाषा का प्रयोग किया है, हम सभी भलीभांति परिचित हैं।
इसके बाद भाजपा के सबसे विवादित नेता साक्षी महाराज का बयान आया कि 2024 में चुनाव नहीं होंगे। लगता है कि नेताजी सांसद के साथ साथ ज्योतिषी भी हैं। साक्षी महाराज के बयानों का निष्कर्ष निकालें तो पूर्व में भी ये ऐसे ही विवादित बयान देते आये हैं। जिसका कोई तर्क नहीं होता। हर पार्टी में ऐसे नेताओं की कोई कमी नहीं है।
काँग्रेस पार्टी इसमें कहाँ पीछे रहने वाली थी। देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी यही लगता है कि ये देश का आखिरी चुनाव है। इस बात को उन्होंने जोर देकर कहा और पूरे विश्वास के साथ कहा।
सवाल ये है कि आखिर इन नेताओं को क्यों लगता है कि ये आखिरी चुनाव है? सच तो ये है कि विपक्ष के नेता हताशा में ऐसा बयान दे रहे हैं और पक्ष के नेता अति आत्मविश्वास में। लेकिन जनता अब जागरूक हो चुकी है। किसी पार्टी के चाहने से उसकी सरकार नहीं बनने वाली है। जनता जल्द ही तय करेगी कि 2019 में किसकी सरकार होगी। लोकतंत्र और संविधान बने रहना चाहिए।
जय भारत। जय हिंद।
ये भी पढ़िए : मंदिर वहीं बनाएंगे। मोदी, योगी और राहुल की बातचीत में हुआ खुलासा।
©नीतिश तिवारी।
6 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (02-04-2019) को "चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है" (चर्चा अंक-3293) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
अन्तर्राष्ट्रीय मूख दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteये ऐसे नेताओं की हाताषा का परिणाम है ... ये सच है की मोदी जी आये तो ऐसे नेता नहीं होंगे न रहेंगे ... शायद इनके लिए २४ के चुनाव न हों इसलिए ये कह रहे हैं २४ में चुनाव नहीं होंगे ...
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने। पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।
Deleteसही कहा
ReplyDeleteधन्यवाद सर।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।