Pic credit : Pinterest.
मैं तेरे शहर में,
दिन के आठों पहर में,
ग़ज़ल की बहर में,
मौजूद रहूँगा।
तुम प्यार मुझसे जरूर करना,
सीप से मोती जरूर चुनना,
ख़्वाबों में सिर्फ मुझे देखना,
मैं उन ख़्वाबों में,
मौजूद रहूँगा।
ये भी पढ़िए: काश तुम।
©नीतिश तिवारी।
मैं तेरे शहर में,
दिन के आठों पहर में,
ग़ज़ल की बहर में,
मौजूद रहूँगा।
तुम प्यार मुझसे जरूर करना,
सीप से मोती जरूर चुनना,
ख़्वाबों में सिर्फ मुझे देखना,
मैं उन ख़्वाबों में,
मौजूद रहूँगा।
ये भी पढ़िए: काश तुम।
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-05-2019) को "देश और देशभक्ति" (चर्चा अंक- 3342) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी कविता शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।