तुम क्या जानो दर्द क्या होता है,
छोटा बच्चा भूख से क्यों रोता है,
इंसान पापी पेट के लिए क्या करता है।
तुम्हें तो बस बंगला गाड़ी पैसा चाहिए,
मेरे जैसा नहीं उसके जैसा चाहिए,
गर्मी में सर्दी और सर्दी में वर्षा चाहिए।
कितनी अजीब ख्वाहिशें हैं तुम्हारी,
हालात को समझ नहीं पाते हो तुम,
सात सुरों की तो धुन ही होती है,
फिर आठवाँ सुर क्यों लगाते हो तुम।
मेरी काबिलियत पर भरोसा रखो,
सब कुछ ठीक कर दूँगा मैं,
फिर मुझसे कोई शिकायत ना होगी,
सब कुछ ठीक कर दूँगा मैं।
©नीतिश तिवारी।
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8 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-06-2019) को "-- कैसी प्रगति कैसा विकास" (चर्चा अंक- 3376) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteतुम क्या जानो दर्द क्या होता है,
ReplyDeleteछोटा बच्चा भूख से क्यों रोता है,
इंसान पापी पेट के लिए क्या करता है।
बहुत सुंदर।
आपका धन्यवाद।
Deleteइस दर्द को खुद ही पार पा के सब कुछ ठीक होता है ...
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक कहा आपने। शुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।