ओ कान्हा रे, मन तुझे ही पुकारे,
ओ कान्हा रे, मन तुझे ही पुकारे,
कोई नही है अपना मेरा, कोई नही पराया,
कोई नही है सपना मेरा, कोई नही है साया.
चाहे गम हो या खुशी हो, तुझको अपना माना,
अब तो बस है तेरे ही, चरणो मे मेरा मेरा ठिकाना.
ओ कान्हा रे, मन तुझे ही पुकारे,
ओ कान्हा रे, मन तुझे ही पुकारे,
सेवक मैं हूँ स्वामी तू है,यही है अपनी कहानी,
दर्शन जो गर तेरे हो जाए,मिल जाए प्यासे को पानी.
भक्ति तेरी, शक्ति तेरी, यही है सच्ची आस,
मिलेगी मुक्ति सभी दुखों से, यही है मेरा विश्वास.
ओ कान्हा रे, मन तुझे ही पुकारे,
ओ कान्हा रे, मन तुझे ही पुकारे.
©नीतिश तिवारी।
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धन्यवाद.
10 Comments
अति सुंदर रचना,उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं.!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी..
Deleteबहुत खुबसूरत भजन !!
ReplyDeleteआपका आभार..
DeleteBadia
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर भजन 🙏
ReplyDeleteशुक्रिया।
DeleteNice one👌
ReplyDeleteThanks
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