मेरे दिल की तिजोरी में बैठकर वो,
चुरा लेता है मेरी साँसों को हर रोज़.
कभी सुर्ख आँखों में पानी देते हैं,
कभी अपने प्यार में नीलामी देते है,
रज़ा पूछकर सज़ा देने वाले,
ज़िंदगी भर की बदनामी देते हैं.
इससे पहले की हम गुमनाम हो जाते,
उस बेवफा ने सरेआम बदनाम कर दिया.
तेरी मोहब्बत तो एक तिजारत थी,
पर तुमने इसे एक गैरत बना दिया,
दिल की बात लफ़्ज़ों तक आने से पहले,
बेवफ़ाई को तुमने एक हक़ीकत बना दिया.
7 Comments
बहुत बहुत आभार आपका कुलदीप जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : कोई बात कहो तुम
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
अब दिल में कसक के अलावा रह ही क्या गया है.बहुत सुन्दर
ReplyDeletehaa sahi kah rahen hain sir ji aap..
Deleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति......
ReplyDeletethank you so much
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