इश्क़ वो दरिया है जिसमे गोते लगाते हैं सभी।
हर बार चला देता है वो अपने तरकश का तीर ,
कम्बख्त मेरा ही दिल होता है उसके निशाने पर।
आ जाना मेरे ख्वाबों में आज भी ,
दीदार कि तलब एक बार फिर जगी है।
अपनी आँसुओं से मिटा देते तेरी तस्वीर को ,
पर कम्बख्त निकलता भी नहीं तेरी याद के बिना।
3 Comments
सुन्दर व सशक्त नज़्म है......बधाई ....
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
ReplyDeleteकाफी सुंदर चित्रण ..... !!!
ReplyDeleteकभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारे.....!!!
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Sanjay Bhaskar
http://sanjaybhaskar.blogspot.in/
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