जब चाँद छुप जाता है बादल में,
तब तेरे चहरे की चमक देती है रौशनी।
जब रात गुजरती है तेरी बाँहों में,
तब तेरे बदन कि खुशबू देती है ज़िंदगी।
जब शोर होता है सन्नाटों में,
तब तेरी हर एक धड़कन देती है राहत।
जब कोई नहीं होता है कमरे में,
तब तेरी हर एक साँस कि होती है आहट।
जब इतने सारे रंग यहाँ,
तब चैन कहाँ मिल पाता है।
तेरी भुली बिसरी बातों से अब,
वक़्त कहाँ गुजर पाता है।
जब जज्बातों का सैलाब उमड़ कर आता है,
तब तेरा हर वो ख्वाब नज़र आता है।
जब सजती है तन्हाई कि वो महफ़िल,
तब फिर से मुझे एक चाँद नज़र आता है।
1 Comments
जब सजती है तन्हाई कि वो महफ़िल ,
ReplyDeleteतब फिर से मुझे एक चाँद नज़र आता है।
...लाज़वाब....दिल को छूते बहुत कोमल अहसास...
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