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तुम जो बसे परदेश पिया.




तुम जो बसे परदेश पिया,
मैं हूँ अपने देश पिया,
जब याद तुम्हारी आती है,
मेरे जिया को तड़पाती है .

तेरे नाम की खुश्बू जब-जब,
मेरे साँसों को महकाती है,
रोम -रोम पुलकित हो जाता ,
जब याद तुम्हारी आती है.

मेरे आँखों के काजल में तुम,
मेरे बातों के हलचल में तुम,
पर हर बार मैं यही सोचती हूँ,
क्यूँ साथ नही अब मेरे तुम.

अपनी खामोशी को क़ैद किए,
   तुम्हारे आगोश में लिपट जाती हूँ,
मैं कैसे बताऊँ तुम्हे साँवरिया,
तुम बिन कैसे मैं जी पाती हूँ.

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11 Comments

  1. Replies
    1. thank you so much sir ..
      aise hi mera utsah badhate rahiye

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  2. meri rachna shamil karne ke liye aapka aabhar

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  3. बहुत सुंदर ।

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  4. चर्चा मंच पर लिंक
    मतलब
    आज के दौर का स्तरीय लेखन //
    बहुत सुंदर
    mere bhi blog par aaye...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आभार ऐसे ही मेरा हौसला बढ़ाते रहिए
      धन्यवाद

      Delete
  5. निशब्द करती रचना.....
    बेहद खूबसूरत पंक्तियां.... आमीन...!!!

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