लब पर तेरा नाम लिखूँ या तुझे अपनी जान लिखूँ।
आज फिर खयाल आया कि कुछ सौगात लिखूँ ,
नींदों में बसे ख्वाब लिखूँ या तेरी कही हर बात लिखूँ।
आज फिर खयाल आया कि कुछ तहरीर लिखूँ ,
परदे के पीछे कि तस्वीर लिखूँ या अपनी रूठी तकदीर लिखूँ।
आज फिर खयाल आया कि कुछ अंज़ाम लिखूँ ,
उस महफ़िल की वो ज़ाम लिखूँ या दुनिया का इल्ज़ाम लिखूँ।
5 Comments
आपका आभार
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना नीतिश जी !
ReplyDeleteनई पोस्ट वो दूल्हा....
latest post कालाबाश फल
प्रशंसनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।