कौन कहता है इस दिल में तेरे निशान नही है,
शीशे के घर तो बहुत हैं पर पक्के मकान नही हैं,
उम्मीद के दियों को इन आँधियों ने बुझा डाला,
पुरानी हवेली के पीछे अब मेरी दुकान नही है.
सोचता हूँ फिर से निकलूं तेरी गली से,
अब वो रास्ता सुनसान नही है,
फिर से लिखूं कुछ तेरी याद में,
पर अब ये शायर जवान नही है.
with.....love.....your....nitish.
2 Comments
बहुत खूब सूरत तिवारी जी
ReplyDeletethank u so much sir ...
ReplyDeleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।