मेरे ख्वाब रंगीन थे,ये हालत तो नही,
तेरा शबाब हसीन था,ये शराब तो नही.
तेरी चौखट पर मर मिटने को दिल बेताब था,
पर इस ज़ालिम दुनिया ने हमे खबर बना डाला.
सस्ते थे तेरे वादे लेकिन महँगी थी मेरी मोहब्बत,
पर इस भरे सावन को भी तुमने सूखा बंजर बना डाला.
आवारगी अगर होती तो पूरे मिज़ाज़ के साथ होती,
पर मेरी दिल्लगी को भी तुमने पल भर मे भुला डाला.
कभी दिलकश कभी दीवाना क्या क्या कहते थे लोग हमें.
पर तूने तो सिर्फ़ हमें मौत का परवाना बना डाला.
2 Comments
उम्दा, बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
उम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।