मैं किसी के साँसों का तलबगार नही होता,
मैं किसी के मोहब्बत में बीमार नही होता,
यह सोचकर की मेरी ज़िंदगी बची है थोड़ी,
मैं किसी के क़र्ज़ का कर्ज़दार नही होता.
और झूठी कसमों और फीके वादों के बीच,
मैं किसी हसीना का प्यार नही होता,
लोग मन्नत करते हैं उसे पाने की हर रोज़ मगर,
ईद से पहले चाँद का दीदार नही होता.
इस सियासत ने कभी किसी को ना बक्शा,
वरना इस धरती पर भ्रष्टाचार नही होता,
ये तो हालात थे जिसने जीना मुहाल कर दिया,
वरना अपनी ज़िंदगी में मैं कभी बेकार नही होता.
nitish tiwary...
11 Comments
नितीश जी आपके एक-एक शेर कमाल है
ReplyDeletemeri rachna sarahne ke liye aapka aabhar.
Deleteबहुत खूब नीतीश जी
ReplyDeleteसादर
thank you so much sir...
Deletebahut bahut dhanywad yashoda ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeletebahut bahut dhanywad sir ji..
ReplyDeleteबहुत खूब नीतीश जी, एक-एक शेर सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteबेहद खूबसूरत पंक्तियाँ।
ReplyDeleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।