उस गुज़रे हुए लम्हे में जी रहा हूँ,
जो तूने दिया दर्द वही सह रहा हूँ.
ये कैसी जुदाई ये कैसा ज़माना,
हक़ीकत में हो तुम या हो कोई फसाना.
ये सोचा मैने की तू एक ग़ज़ल है,
क्यूँ हर वक़्त तुझको ही मैं गा रहा हूँ.
वो पल भर का मरना वो पल भर का जीना,
हमें आज भी याद है वो सावन का महीना.
कभी पत्तों पर गिरती थी बारिश की बूँदें,
अब आँसू हैं मेरे और तस्वीर तेरी.
nitish tiwary.
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