अब भी आरजू है तुझे सँवरने की, पर वक़्त को आदत नही है ठहरने की , अब भी चाहत है मेरी तड़पने की , तेरी हर एक साँसों में महकने की, पलकों के साये में बिछड़ने की उस हसीन दारिया में उतरने की, खूबसूरत लम्हों को क़ैद करने की, और फिर से हद से गुजरने की. अलविदा 2014....
2 Comments
सच कहती पंक्तियाँ .
ReplyDeleteRecent Post लेखन तो जिन्हे विरासत में मिला है ऐसी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है - साधना वैध
aapka aabhar sanjay ji
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