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हालात


पत्ते बिखर गये हैं,
आओ इनको समेट लें,
हुनर निखर गये हैं,
आओ इनको सहेज लें.

रिश्ते बिगड़ गये हैं,
आओं इनको बना लें.
अपने बिछड़ गये हैं,
आओ इनको मना लें.

©नीतीश तिवारी 

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