कि कोई आए तो आए कैसे, मुझको भाए तो भाए कैसे. अपना बनाए तो बनाए कैसे, हम दिल लुटाएं तो लुटाएं कैसे. कोई खुश्बू महकाय तो महकाय कैसे, कोई आरज़ू जगाए तो जगाए कैसे. अपनी बेबसी बताएँ तो बताएँ कैसे, अपनी खुशी छुपाएँ तो छुपाए कैसे.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (27-04-2015) को 'तिलिस्म छुअन का..' (चर्चा अंक-1958) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (27-04-2015) को 'तिलिस्म छुअन का..' (चर्चा अंक-1958) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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