सवाँरु तेरी पलकों से कोई ख्वाब मैं,
अंधेरों में खो जाऊं बनके कोई जवाब मैं,
गुज़ारा नही होता तेरी यादों के बिना,
किस-किस तरह दूँ प्यार का हिसाब मैं.
रुकती है नज़रें मेरी सिर्फ़ तेरे ही चेहरे पर,
कैसे ना देखूं ये खिलता हुआ गुलाब मैं,
भले ही किसी को मुहब्बत हासिल ना हुई हो,
पर रहना चाहता हूँ तेरे प्यार मे आबाद मैं.
© नीतीश तिवारी
4 Comments
सुंदर भाव ।
ReplyDeleteaapka aabhar shushil ji
ReplyDeleteसुन्दर अहसास
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
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