राहत क्यूँ नही देती हो मुझे ,
तुम अपने बार-बार के इस नखरे से,
अपने होठों की हँसी से,
अपने पलकों की नमी से,
तुम्हारे इस मुस्कुराने की अदा के,
दीवाने हैं करोड़ो,
और उनमे शामिल एक मैं भी हूँ,
तो क्यूँ ना शिकायत करूँ तेरी.
जब तुम चलती हो,
तो वक़्त कही थम सा जाता है,
भवरे गुनगुनाते नही,
चिड़ियाँ चहकती नही,
नादिया बहती नही,
सब तुम्हारे जादू का असर है,
ना जाने कहाँ से सीखा है,
सबको अपने वश मे करना,
और मुझे भी.
©नीतीश तिवारी
2 Comments
सुन्दर अहसास
ReplyDeleteआपका आभार.
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।