ये परिंदे जो उड़ने को बेताब हैं,
उनके ये पर तुम क्यूँ काटते हो.
ये बच्चे जो एक-एक दाने को मोहताज़ है,
उनके बीच ये जूठन क्यूँ बाँटते हो.
मेरे उड़ने की दास्तान बहुत लंबी नही लेकिन,
मेरे ही हिस्से का जायदाद तुम क्यूँ चाहते हो.
दुनिया जानती है मोहब्बत मे कुछ हासिल ना हुआ,
फिर खुदा से उसकी ही फरियाद क्यूँ करते हो.
©नीतीश तिवारी
0 Comments
पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।