आज कुछ ख़याल नहीं आ रहे हैं ,
चलो तुम्हे लिख देता हूँ।
तुम्हारी हँसी लिख देता हूँ ,
तुम्हारी ख़ुशी लिख देता हूँ।
आज कुछ ख़याल नहीं आ रहे हैं ,
चलो तुम्हे लिख देता हूँ।
तुम्हारी गुस्ताखियाँ लिख देता हूँ ,
तुम्हारी बदमाशियां लिख देता हूँ ,
प्यारी सी कहानी लिख देता हूँ ,
तुम्हारी वो नादानी लिख देता हूँ ,
चेहरे का नजराना लिख देता हूँ ,
जुल्फों का सवाँरना लिख देता हूँ।
आज कुछ ख़याल नहीं आ रहे हैं ,
चलो तुम्हे लिख देता हूँ।
तुझसे जुड़ा वो बंधन लिख देता हूँ ,
तेरे प्यार का पागलपन लिख देता हूँ।
©नीतिश तिवारी।
14 Comments
प्रेममय सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteaapka aabhar pradeep ji
Deleteबेहद भावपूर्ण प्रेमरस परिपूर्ण रचना......बधाई....
ReplyDeleteधन्यवाद।
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Deleteबहुत सुंदर पंक्तिया ।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका।
Deleteशुक्रिया आपका।
Deleteआज सारी रात ओस की बुँदे गिरी
ReplyDeleteचलो तुम्हारे साथ हर मुलाकात आज लिख देता हूँ ...बहुत अच्छी कविता है थोड़ी गुंजाईश है जल्दी पूरी हो जायेगी
आपका आभार।
DeleteThank you sir.
ReplyDeleteThank you sir.
ReplyDeleteउनको लिखा भी किसी कविता से कम कहाँ ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteThanks a lot sir.
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