इंतजार की हद अभी बाकी है,
इकरार की हद अभी बाकी है।
जिस प्यार की तलाश है मुझको,
उस प्यार की हद अभी बाकी है।
जिसको पाने की है ख्वाहिश मेरी,
उस ख्वाहिश की हद अभी बाकी है।
महबूब की गलियों से गुजरता हूँ रोज,
उनके दीदार की हद अभी बाकी है।
मेरी आँखों में है तस्वीर जिसकी,
उस तस्वीर का सँवरना अभी बाकी है।
जिसके लिए कई नज़्म लिख डाले,
उस नज़्म को गुनगुनाना अभी बाकी है।
खुशबू का महकना अभी बाकी है,
जुल्फों का उलझना अभी बाकी है।
जिस महबूब को पाने की तमन्ना है,
उस महबूब का मिलना अभी बाकी है।
©नीतिश तिवारी।
1 Comments
bahut sundr
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