जब वक़्त गुजरता जाता है,
सपने बड़े हो जाते हैं।
पूरा करने को इन्हें,
हम जी जान लगाते हैं।
जितनी बड़ी सोंच,
उतना बड़ा सपना।
पूरा करना है इसे,
यही लक्ष्य है अपना।
बाधाएँ तो आएंगी ही,
उनसे पार गुजरना है।
ना रुकना है ना थकना है,
बस मंज़िल तक पहुँचना है।
हर आँसू को खुशी में बदलना है,
हर गम को घूंट कर पी जाना है।
एक नयी ऊर्जा का संचार करना है,
अपने सपनों को अब पूरा करना है।
©नीतिश तिवारी।
8 Comments
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteआपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये दिनांक 08/05/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
बहुत बहुत धन्यवाद कुलदीप जी।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 08 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
DeleteBahut hi sundr rachna
ReplyDeleteThank you dewesh.
Deleteप्रेरक रचना
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।