ना करार है, ना इनकार है,
जब से मिली हो तुम,
बस प्यार ही प्यार है।
अब भूले बिसरे गीत नहीं,
उलझी हुई कोई प्रीत नहीं,
जब से मिली हो तुम,
तुझसे रौशन मेरा जग संसार है।
कभी बगिया में खिली फूल सी,
कभी रेत में उड़ती धूल सी,
कभी आसमां में उड़ती पतंगों सी,
कभी दिल में उठते तरंगों सी।
गीत ना जाने कब ग़ज़ल बन गए,
मेरे सारे ग़म ना जाने कब धूल गए,
जब से मिली हो तुम,
तेरे प्यार में हम अब संवर गए।
©नीतिश तिवारी।
1 Comments
Thanks a lot sir Ji.
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