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अखबार बन जाऊँगा।























तेरी डूबती कश्ती का पतवार बन जाऊँगा,
तेरी मोहब्बत का कर्जदार भी बन जाऊँगा,
आज जी भर के मुझे प्यार कर लो,
नहीं तो कल सुबह का अख़बार बन जाऊँगा।

©नीतिश तिवारी।

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3 Comments

  1. रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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