Two line shayari
आज रात अमावश जैसी लग रही है,
मेरा चाँद मेरे साथ जो है।
लो आ गया तुम्हारी नज़रों के सामने,
क्या आज तुम्हारा सोलहवाँ सोमवार है।
उनका दीदार हुआ और हमें प्यार हुआ,
फिर से आज नया एक त्योहार हुआ।
कदम बहके, होश उड़ गए, बैठे रहे मयखाने में,
इस मोहब्बत में ना जाने और क्या-क्या होगा।
©नीतिश तिवारी।
मेरा चाँद मेरे साथ जो है।
लो आ गया तुम्हारी नज़रों के सामने,
क्या आज तुम्हारा सोलहवाँ सोमवार है।
उनका दीदार हुआ और हमें प्यार हुआ,
फिर से आज नया एक त्योहार हुआ।
कदम बहके, होश उड़ गए, बैठे रहे मयखाने में,
इस मोहब्बत में ना जाने और क्या-क्या होगा।
©नीतिश तिवारी।
4 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-02-2017) को "सुबह का अखबार" (चर्चा अंक-2891) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।