जिन्ना- जिन्ना करते हो तुम, तुमको चाहिए आज़ादी,
भगत सिंह जो फाँसी पर चढ़े वो बोलो फिर क्या थी।
देश में रहकर देशद्रोही बनते फिरते हो तुम,
ये काम किसी और के इशारे पर करते हो तुम।
सालों पहले देश बँट गया तुम जैसे लोगों के कारण,
इस बार देश नहीं बंटेगा चाहे कर लो कितने जतन।
पढ़ने की जगह पर तुम सिर्फ नारे लगाने जाते हो,
भारत में रहकर तुम क्या पाकिस्तान का खाते हो।
कितना भी तुम चिल्ला लो, इन नारों में वो बात नहीं,
बाहरी आदमी देश बँटवा दे उसकी अब औकात नहीं।
©नीतिश तिवारी।
8 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (07-05-2017) को "मिला नहीं है ठौर ठिकाना" (चर्चा अंक-2963) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
रचना शामिल करने के किये आपका धन्यवाद।
Deleteआजादी से पहले के देशप्रेमी सम्पूर्ण हिंदुस्तान की आजादी की लड़ाई के लिए लड़े थे।
ReplyDeleteउनके मन मे कोई दूसरा देश नहीं था।
जिन्ना अगर देशद्रोही है तो फिर गांधी कौन हुए?
अगर हिंदुस्तान के लिए आज़ादी की लड़ाई लड़ी गयी थी तो आज़ादी के बाद पाकिस्तान कहाँ से आ गया?
Deleteशर्म आती है इस देश का खा कर जिन्ना की बात करते हैं ...
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही कहा आपने।
DeleteBahut khub ye post un jinna premiyo tk jana chaiye
ReplyDeleteजरूर।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।