अकेले दरिया पार किया, मेरा साथी छूटा किनारे पे,
मंज़िल तो छूटनी ही थी, जब रास्ता भटका चौराहे पे।
बिखर गए थे ख्वाब मेरे, पर तुम्ही ने तो सँवारे थे,
याद आता है वो लम्हा, जब तुम भी कभी हमारे थे।
बरसात की बूँदें और तुम्हारे आँसू, दोनों को हमने संभाले थे,
तेरे आँचल की छाँव में, कई लम्हे हमने गुजारे थे।
कभी यकीन ना था कि तुमसे हम बिछड़ जाएंगे,
तेरी मोहब्बत में तुझसे ज्यादा हम खुदा के सहारे थे।
©नीतिश तिवारी।
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