मैं तुम्हें भूला दूँ क्या
मैं खुद को सज़ा दूँ क्या
तुम्हारे ख़तों की स्याही
अब मिटने लगी है
मैं इन ख़तों को जला दूँ क्या
मेरी आँखों में अब भी
तेरा चेहरा नज़र आता है
मैं अपने घर से आईने
को हटा दूँ क्या
बेवफ़ा तुम निकली और
इल्ज़ाम हम पर आया
मैं पूरी दुनिया को
ये बात बता दूँ क्या
बहुत मगरूर हैं
लोग मोहब्बत में
तुम्हारी बेवफाई की
दास्तान सुनाकर सबको
नींद से जगा दूँ क्या
मैं तुम्हें भुला दूँ क्या
मैं खुद को सज़ा दूँ क्या
©नीतिश तिवारी।
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