आज सुबह जब पत्नी के साथ बैठकर चाय के साथ अख़बार पढ़ रहा था तो अचानक ही एक जाना पहचाना चेहरा दिखा. खबर थी कि,"सरपंच के रूप में उत्कृष्ट काम कर रही हैं नीलिमा". उसका नाम पढ़ते ही दिल में एक हलचल सी हुई. ये वही नीलिमा थी जो इंजीनियरिंग की तैयारी करते समय कब दोस्त बन गयी और दोस्ती कब प्यार में बदल गयी, पता ही नहीं चला था. पत्नी के जाने के बाद मैने ध्यान से फोटो देखा और खबर पढ़ी.
पर हैरान इस बात से था कि वो तो IIT Delhi से बीटेक कर चुकी थी. फिर सरपंच कैसे बन गयी.
कई बरसों बाद आज अचानक से उससे बात करने का मन हो रहा था. लेकिन मेरे पास उसका कोई नंबर नहीं था. दिन भर ऑफीस में इंटरनेट पर उसे ढूंढता रहा.
फिर फेसबूक पर एक फ़्रेंड से उसका नंबर मिला. ऑफीस से निकलते ही मैने फ़ोन मिलाया.
'हैलो, कौन?" उधर से एक मीठी आवाज़ आई.
कुछ सेकेंड तक मैं चुप रहा. फिर बोला, "मैं बोल रहा हूँ."
"मैं कौन?" उसने सवाल किया.
फिर भी मैं चुप रहा. फिर थोड़ी देर बाद उससने बोला, "कौन? रोहित?"
मैने कहा, "हाँ".
शायद अब भी उसे मेरी खामोशी को महसूस करने की आदत थी. मैने कहा, "तुमने तो बीटेक किया था फिर ये सरपंच कैसे?". उसने जवाब दिया," जब तुम्हारा सेलेक्शन IIT में नहीं हो पाया था तो मैने किसी तरह इंजीनियरिंग कर तो लिया पर नौकरी नहीं कर पायी. अब यहीं अपने गाँव में हूँ."
मैने फिर सवाल किया, "और शादी क्यूँ नहीं की?".
वो बस इतना बोल पायी, "क्या फ़ायदा?".
बस इतना कहकर उसने फ़ोन काट दिया.
आज मुझे फिर से उसके प्यार की कमी महसूस हो रही थी.
©नीतिश तिवारी।
4 Comments
आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवार (20-08-2018) को "आपस में मतभेद" (चर्चा अंक-3069) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद सुमन जी।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।