Yudh Rchati ho | युद्ध रचाती हो।
जान-जान कहके तुम मेरी जान ले जाती हो,
दूर रहकर भी मोहब्बत का एहसास कराती हो।
ये बिंदी, ये काजल, श्रृंगार नहीं हथियार हैं तुम्हारे,
इन कातिल अदाओं से मेरे दिल में युद्ध रचाती हो।
पलकें झपका के जब नज़रें मिला जाती हो,
घायल बनाकर फिर मेरा इलाज़ कर जाती हो।
ये तुम्हारे जीने की अदा है या मुझे तड़पाने की,
मौसम कोई भी हो बस तुम मुझपे बरस जाती हो।
©नीतिश तिवारी।
Ye bhi dekhiye:
2 Comments
Bhaut bdhiya....
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।