तुम्हें क्या बताएँ दोस्तों दिल की दास्तान,
मोहब्बत में हमने शह और मात देखी है,
मेरी नम आँखों को देखकर आप हैं हैरान,
बिना बादल के हमने एक बरसात देखी है।
चाँद छुपता रहा चाँदनी के आगोश में,
फिर भी तन्हाई वाली हमने वो रात देखी है।
ज़ुल्फ़ें सँवरती रही न जाने किस किस की,
अपनी उलझनों की हमने सौगात देखी है।
अब मंज़ूर नहीं मोहब्बत के कायदे हमको,
इस खेल में शतरंज की हर बिसात देखी है।
©नीतिश तिवारी।
3 Comments
रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
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