सुनो,
तुम्हें ये बार-बार
जो इश्क़ में
बग़ावत करने का
मन करता है ना
तो आज ही कर लो
इश्क़ में बग़ावत।
और फिर देखना,
तुम मेरी सियासत
इश्क़ में।
ये जो कबूतर
रोज तुम्हारी छत
पर बैठते हैं ना
उनको दाना हम डालेंगे
और उन्ही कबूतरों से
संदेशा भिजवाएंगे
किसी और के नाम।
इश्क़ को तिज़ारत
बनाने की जुर्रत
जो तुमने की है
उसकी सजा मुझे
मिल रही है।
लेकिन तुम परेशान
मत होना कभी
मोहब्बत में इबादत
मैं करूँगा
अपने इश्क़ की हिफाज़त
मैं करूँगा।
©नीतिश तिवारी।
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