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यूँ ना देखो ऐसे, मैं घायल हो जाऊँगा,
तेरे इस हुस्न का, मैं कायल हो जाऊँगा,
मेरे गीतों की गुनगुन सुनाई नहीं देती तो,
तेरे इन पैरों का, मैं पायल हो जाऊँगा।
अब के बरस प्यासी मत रहना तुम,
सावन का नया, मैं बादल हो जाऊँगा।
अश्कों को गिरने ना दूँगा पलकों से,
तेरी इन आँखों का, मैं काजल हो जाऊँगा।
सजने को जी करे जब तेरा तो बता देना,
तेरी इन बाहों का, मैं आँचल हो जाऊँगा
अब कितनी मोहब्बत करेगी रहने दे ना,
इश्क़ में एक दिन, मैं पागल हो जाऊँगा।
©नीतिश तिवारी।
26 Comments
पागल हो के ही तो आशिक का मुकाम मिलेगा ... हो जाइए जनाब ...
ReplyDeleteजी धन्यवाद।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (29-01-2019) को "कटोरे यादों के" (चर्चा अंक-3231) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
Deleteबेहद खूबसूरत शृंगार रस की रचना.बधाई
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 30 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteरचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteवाह !!बहुत ही सुन्दर सृजन
ReplyDeleteसादर
आपका शुक्रिया।
Deleteवाहह. बेहतरीन सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteखूबसूरत श्रृंगार रचना वाह।
ReplyDeleteआपका आभार।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब...
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसुंदर..
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deletebahut sundar abhivyakti badhai
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर भावों को शब्दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगा,
ReplyDeleteवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
आपकी तारीफ के लिए शुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।