वंदे मातरम, एक ऐसा शब्द जो सिर्फ शब्द नहीं बल्कि भारतीय होने का एहसास कराता है। देशभक्ति का एक ऐसा जुनून जिसे हम सब ने बचपन से गाया है। ये सिर्फ राष्ट्र गीत नहीं बल्कि हरेक भारतीय की पहचान है। जब बंकिमचंद्र ने ये गीत लिखा होगा तो ये नहीं सोचा होगा कि ये सिर्फ हिन्दू गाएंगे या सिर्फ एक पार्टी गायेगी। ये तो सभी भारतीयों का गीत है। फिर इतना हल्ला क्यों हो रहा है।
तो चलिए आपको बताते है। हल्ला इसलिए हो रहा है कि मध्य प्रदेश की काँग्रेस सरकार ने महीने की पहली तारीख को सचिवालय में गाये जाने वाले वंदे मातरम की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। कारण किसी को नहीं पता। भाई अगर भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय हिंद हिन्दुतान में नहीं बोलोगे तो क्या पाकिस्तान में बोलोगे। लगता तो यही है कि ये लोग, हाँ काँग्रेस वाले लोग पाकिस्तान में जाकर बोलेंगे वो भी पाकिस्तान जिंदाबाद। वैसे भी उनके नेता वहाँ जाकर बोलते हैं कि मोदी जी को हटाइये तब समाधान निकलेगा। गज़ब की बेवकूफी है ये।
वन्दे मातरम के नारे से तो देश आजाद हुआ था। रोक तो अंग्रेज़ लगाते थे फिर ये काँग्रेस वन्दे मातरम पर रोक लगाके तुस्टीकरण की राजनीति क्यों कर रही है।
जिन लोगों को वन्दे मातरम बोलने से या भारत माता की जय बोलने से परहेज़ है उनको भगवान सद्बुद्धि दें। हमने तो बचपन से स्कूल में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाया है और गाते रहेंगे। अब कुछ लोग तर्क करते हैं कि भारत माता की जय बोलना ही देशभक्ति का प्रमाण है क्या, बिल्कुल नहीं है लेकिन अगर आप बोल ही देंगे तो क्या नुकसान होगा आपका ये बताइये। ना तो ये धर्म से संबंधित है, ना ही जाति से और ना ही किसी राजनीतिक पार्टी से । एक बात और, अब आप लोग हमें ये मत कहियेगा को सबसे बड़ा देशभक्त मैं ही हूँ जो इतना बोल रहा हूँ। नहीं, भईया आप भी हैं। इस देश में रहने वाला हर व्यक्ति देशभक्त है तो फिर कहिये ना।
भारत माता की जय!
वन्दे मातरम!
जय हिंद!
©नीतिश तिवारी।
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