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लघुकथा--बेटी का बाप।

















Image courtesy: pinterest.









लघुकथा--बेटी का बाप।

गुप्ता जी ने जैसी ही पंडाल में अपने बेटे को कई लोगों के साथ बहस करते देखा तो दौड़कर पंडाल की तरफ भागे। 
"क्या हुआ बेटा सोनू, शोर क्यों मचा रहा है?" गुप्ता जी ने बड़े हैरानी से अपने बेटे से पूछा।
"देखिये ना पिताजी, मुझे कोल्ड ड्रिंक पीना है और ये लड़की वाले कह रहे हैं कि कोल्ड ड्रिंक खत्म हो गया।"
सोनू ने गुस्से भरे स्वर में जवाब दिया।
गुप्ता जी अपने बेटे को समझा ही रहे थे कि इतने में बेटी का बाप आ पहुँचा और हाथ जोड़कर बोला।
"माफ करना बेटा, कोल्ड ड्रिंक खत्म हो गयी है, लेने के लिए भेजा है। अभी थोड़ी देर में आ जायेगी।"
गुप्ता जी से रहा नहीं गया। उन्होंने तुरंत उनका हाथ पकड़कर बोला। "रहने दीजिए समधी जी। शादी में कम ज्यादा होता रहता है। आपको कोल्ड ड्रिंक मंगाने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने भी पिछले वर्ष अपनी बिटिया की शादी की थी। मैं समझ सकता हूँ। मैं भी एक बेटी का बाप हूँ।"
अग्रवाल जी अपने आँसू नहीं रोक पा रहे थे। सोनू शर्मिदा होकर वहाँ से चला गया।

©नीतिश तिवारी।

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8 Comments

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (07-05-2019) को "पत्थर के रसगुल्ले" (चर्चा अंक-3328) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति

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  3. काश !! सारे लड़को के बाप गुप्ता जी जैसे होते उन्हें याद रहता कि उनके पास भी बेटी हैं ,अच्छी कहानी ,सादर नमस्कार

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. बढ़िया लघुकथा।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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