Reason behind selective propaganda to defame the Narendra Modi government.
जी हाँ दोस्तों, आज मैं बात करूँगा नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने वाली साजिश के बारे में। वही साजिश जो 2014 से चली आ रही है इस तर्क के साथ कि पहले भारत में लोकतंत्र भलीभांति फल फूल रहा था। लेकिन 2014 के बाद लोकतंत्र खतरे में आ गया।
पिछले कुछ वर्षों में हिंदुस्तान में एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है। इस ट्रेंड को शुरू करने वाले हैं so called intellectuals. मैं आगे आपको कुछ घटनाएँ बताऊँगा जिससे कि इनका पाखंड उजागर हो जाएगा।
Intolerance के बाद अब एक और नए शब्द का अवतरण हुआ है और उसका नाम है Mob lynching. कहा ये जा रहा कि मुसलमान और दलित इस देश में सुरक्षित नहीं है। पर ये कोई नहीं बताएगा कि अगर मुसलमान इस देश में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर रोहंगिया मुसलमानों को अवैध तरीके से बसाने और शरण देने की पैरवी क्यों की जा रही थी।
कुछ दिनों पहले झारखण्ड की घटना को इतना तूल दिया गया और कहा गया कि तबरेज़ जो एक चोरी करता हुआ पकड़ा गया था, उसे भीड़ ने मार दिया। वो भी जय श्री राम बुलवाकर। वो बात अलग है कि मौत का कारण डॉक्टरों ने कुछ और बताया था। अगर यही तबरेज़ मुसलमान ना होकर कोई और होता तो शायद इतनी चर्चा नहीं होती। इसका प्रूफ ये है कि जब भीड़ ने मथुरा के लस्सी वाले को पैसे मांगने पर मार दिया तब कोई कुछ नहीं बोला। इन so called intellectuals के मुंह में दही जम गया था जब दिल्ली में डॉक्टर नारंग की हत्या हुई। ध्रुव त्यागी के मामले में तो इनको सांप सूंघ गया था। अगर पीड़ित मुसलमान या दलित हो तो इनको दिन में तारे दिखने लगते हैं लेकिन अगर आरोपी मुसलमान हो तो फेविकोल का पूरा स्टॉक खत्म हो जाता है और इनके होंठ सील जाते हैं।
कठुआ में आसिफ़ा के साथ जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ। लेकिन चूंकि उसमें आरोपी हिन्दू थे तो पूरे हिन्दू धर्म को बदनाम कर दिया गया। देवी स्थान को बदनाम कर दिया गया। बॉलीवुड की महान आदर्शवादी अभिनेत्रियों ने तो तख्ती पर लिखकर पूरे हिंदुस्तान और हिन्दू धर्म को बदनाम करने की साजिश करने लगीं। लेकिन ट्विंकल शर्मा के केस में इन्ही आदर्शवादी अभिनेत्रियों की तख्ती गायब थी, शायद लिखने के लिए स्याही खत्म हो गया होगा।
जब कश्मीर में लाखों हिंदुओं को भगा दिया जाता है तब लोकतंत्र खतरे में नहीं आता। लोकतंत्र तब भी खतरे में नहीं आता जब दिल्ली में हजारों सिखों का कत्ल कर दिया जाता है। क्योंकि उस समय इनकी मर्जी की सरकार थी। अब देश के जनता की मर्जी की सरकार है तो सबको मिर्ची लग रही है। आज कुछ लोगों ने ये तय कर लिया है कि किस मामले में बोलना है और किसमे नहीं। वो आरोपी और पीड़ित की जात और धर्म देखकर अपना प्रोपेगेंडा चलाते हैं।
लेकिन देश की जनता समझदार है और इन सबको सबक सिखाने में यकीन रखती है। झूठ कितना भी शक्तिशाली हो लेकिन वो सच को कमजोर नहीं कर सकता। हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करना होगा। इन तथाकथित बुद्धिजीवी लोगों को हराने के लिए बस इतना ही काफी है।
जय भारत। जय हिन्द। वन्दे मातरम।
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© नीतिश तिवारी।
2 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका धन्यवाद।
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