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तुझे लगता है...
तुझे लगता है कि
मैं तेरे बगैर नहीं
रह सकता तो
भ्रम में हो तुम
तन्हाई की दीवार
जो तूने खड़ी की है
उसमें एक खिड़की
बना ली है मैंने
तुम्हारे दर्द को
भुलाने के लिए
किताबों से
मोहब्बत कर
बैठा हूँ
नए कहानियों के
साथ समय बिताता हूँ
तुमसे अच्छे
किरदार हैं इनमें
जो दर्द नहीं
खुशियां देते हैं।
©नीतिश तिवारी।
12 Comments
वाह क्या बात है
ReplyDeleteधन्यवाद सर।
Delete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-08-2019) को "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (चर्चा अंक- 3431) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
Deleteलाजवाब।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत खूब , ये तो चैलेंज ही हुआ ना
ReplyDeleteजी, शुक्रिया।
Deleteकाश, हर इंसान ऐसी ही जिंदादिली दिखाए तो कोई भी शराब आदि के गलत रास्ते पर न जाए। बहुत सुंदर सोच नीतीश भाई।
ReplyDeleteबस अपनी अपनी सोंच है। आपका शुक्रिया।
Deleteसही कदम
ReplyDeleteजी शुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।