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ऐ दोस्त काश तुम गद्दार न होते
तो मेरे दिल के तार तार न होते
काश तुमने दोस्ती निभाना सीखा होता
तो मैं भी खुशी के दो पल जिया होता
काश तुमने मेरे भरोसे का लाज रखा होता
मेरे दिल से की गयी बातों का
अपने दिमाग द्वारा उपयोग न किया होता
काश तुमने अपना दोहरा चरित्र
पहले ही दिखा दिया होता
तो मैं भी चैन से सोया होता
काश तुमने कृष्ण-सुदामा परम्परा को कायम रखा होता
तो आज भी मैं तुम पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर रहा होता
जो बातें तुझे रास न आईं मुझे एक बार बता कर तो देखा होता
ऐ दोस्त ...
© शांडिल्य मनीष तिवारी।
4 Comments
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/08/2019 की बुलेटिन, " बैंक वालों का फोन कॉल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
DeleteBhut khub dost 😘😘
ReplyDeleteDhnyawad.
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।