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कोई मुश्किल में जीता है,
कोई आसान समझता है।
ये जिंदगी का फलसफा है,
ये हर कोई समझता है।
फूलों और काँटों की जंग है,
अंदर ही अंदर एक द्वन्द्व है।
रोते नहीं हँसकर जीते हैं,
तभी तो जिंदगी में उमंग है।
©नीतिश तिवारी।
Twitter: @poetnitish
6 Comments
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 07 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteरचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteसार्थक यथार्थ दर्शन।
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 8.8.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3421 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।