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मैं बदन को सवारूँ या अपने नसीब को सवारूँ,
तुझे दिल में बसा लूँ या अपने दिल से उतारूँ,
ख़्वाबों की ताबीर ऐसी हुई कि नींद टूटी चुकी है,
तू ही बता ओ ज़ालिम अब ये रात मैं कैसे गुजारूँ।
Main badan ko sanwarun ya apne naseeb ko sanwarun,
Tujhe dil mein basa lun ya apne dil se utarun,
Khwabon ki tabeer aisi huyi ki neend tut chuki hai,
Tu hi bata oo zalim ab ye raat main kaise guzarun.
©नीतिश तिवारी।
7 Comments
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
ReplyDeleteमुश्किल है ऐसी रातें गुजारना ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
धन्यवाद सर।
Deleteबहुत खूब ..
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
DeleteBahut umdaa
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।