Pic credit : Pinterest.
तुम क्या जानों आशिक़ कैसे दिल को समझाते हैं,
दिल टूटने पर आँसुओं की बारिश से भींग जाते हैं,
लोग बेवफ़ाई के चर्चे कितने भी करें मगर,
उस बेवफ़ा का नाम कभी जुबाँ पर नहीं लाते हैं।
Tum kya jano ashiq kaise dil ko samjhate hain,
Dil tootne par aasuon ki barish se bheeg jate hain,
Log bewfai ke charche kitne bhi karen magar,
Us bewfa ka naam kabhi juban par nahin laate hain.
©नीतिश तिवारी।
7 Comments
रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबड़ी रूमानी कविताएँ लिखते हो नीतिश बाबू ! तुम्हारी कहानियां भी अच्छी हैं.
ReplyDeleteतुम्हारी रचनाएँ पढ़ कर अपनी जवानी के दिन याद आ गए !
अपनी कहानियों की तरह अपनी कविताओं के विषय में भी विविधता लाने का प्रयास करो.
जी जरूर। बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।