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राम प्रसाद जी को फिर से पंचायत के मुखिया के तौर पर चुन लिया गया था। गाँव और समाज में युवाओं के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण उन्होंने तय किया कि इस बार की पहली बैठक से ही युवाओं को शामिल किया जाएगा। बैठक शुरू हुई जिसमें पंचायत के बुजुर्ग और युवा भी शामिल थे।
"युवा शक्ति की ताकत बहुत बड़ी होती है। मैं चाहता हूँ कि पंचायत के सभी बच्चों और युवाओं के हाथ में भगत सिंह की किताब हो। सबको पता चलना चाहिए कि सुभाष चंद्र बोस ने आज़ादी की लड़ाई में कितना सार्थक योगदान दिया था। अगर चंदा करना पड़े तो करो लेकिन सबके पास आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए वीर सपूतों की कहानी पहुँचनी चाहिए।" राम प्रसाद जी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा।
जैसे ही उन्होंने अपना वक्तव्य खत्म किया तो पीछे से एक युवा भाई ने पूछा , "और नाथूराम गोडसे?"
रामप्रसाद जी और बाकी पंचायत के सदस्य सोंच विचार में पड़ गए थे।
©नीतिश तिवारी।
12 Comments
सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
DeleteWaah nice story
ReplyDeleteThank you!
Deleteहर समय और परिवेश के साथ परिस्थिति और सोच बदलती रहती हैं तो ऐसे में "आदर्श "किसे बनाए ,एक छोटी कहानी जो बहुत कुछ कहती हैं ,सादर नमन आपको
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०८ -१२-२०१९ ) को "मैं वर्तमान की बेटी हूँ "(चर्चा अंक-३५४३) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद अनिता जी।
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteसटीक
ReplyDeleteधन्यवाद सर।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।