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प्रेम गीत- काजल को स्याही बनाके।

प्रेम गीत- काजल को स्याही बनाके।





                  






















Photo courtesy: Pinterest










तेरी आँखों के काजल को स्याही बनाके लिख दूँ,
मैं अपनी ग़ज़ल में तुझको हमराही बनाके लिख दूँ।

तेरी पायल करती शोर है हम जब भी मोहब्बत करते हैं,
इस पायल की छन छन को गवाही बनाके लिख दूँ।

चाँद करता रहता है पहरा, पूर्णिमा की रात को,
तुम कहती हो तो चाँद को सिपाही बनाके लिख दूँ।

गुनाह है मोहब्बत में अगर छुप छुप कर मिलना,
फिर मैं भी अपने को अपराधी बनाके लिख दूँ।

©नीतिश तिवारी।

Also Read: मेरी पहली किताब- फिर तेरी याद आई।

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3 Comments

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद सर।

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