Photo courtesy: Google.
कैसे करुँ इज़हार-ए-मोहब्बत,
जरा तुम ये बतलाओ हमें,
दुनिया जहाँ को भूल बैठे हैं,
अब यूँ ना तड़पाओ हमें।
साथ रहो तो सब मुमकिन है,
दूर रहकर क्या हासिल हुआ,
दिन के आठ पहर में से,
एक पहर गर भूल भी जाऊँ,
मैं प्यार नहीं करता तुमसे,
ये कहकर ना झूठलाओ हमें,
कैसे करूँ इज़हार-ए-मोहब्बत,
जरा तुम ये बतलाओ हमें।
©नीतिश तिवारी।
6 Comments
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 16 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteरचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर/बेहतरीन सृजन।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।