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नाराज हो जाती हो,
फिर भी मान जाती हो,
कितनी अच्छी हो तुम,
जो हर पल मुझे चाहती हो।
बिखर जाएँ जो जुल्फें,
तो पहले उसे सँवारती हो,
फिर मेरे काँधे पर,
सर रखकर सो जाती हो।
©नीतिश तिवारी।
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2 Comments
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 22 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteरचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।