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Lock down की घोषणा होते ही रात हम देखली सपनवा कि सइयाँ घरे आइहें।
24 मार्च 2020 रात आठ बजे मोदी जी के संदेश को सुनकर मिश्रा जी घबरा गए। चार साल पहले 2016 में भी मिश्रा जी घबरा गए रहे। तब कारण रहा नोटबन्दी, अबकी बार कारण रहा लोगबंदी या यूँ कहें भारत बंदी। वैसे मोदी जी लोगों की साँसें थामने के लिए रात 8 बजे का ही वक़्त क्यों चुनते हैं, ये अभी तक एक रहस्य है।
इक्कीस दिन के lock down का संदेश सुनते ही हमारे मित्र मिश्रा जी गहरे सोंच विचार में पड़ गए। पिछले एक हफ़्ते से दफ़्तर ना जा पाने की मजबूरी में ना जाने कितने टोटल सिगरेट फूँक कर और कैप्टन मॉर्गन के पैग खत्म कर करके मिश्रा जी एकदम फ्रास्टिया गए थे। ऊपर से ये 21 दिन का लॉक डाउन। लेकिन बेचारे अकेले करते भी तो क्या। घर और परिवार से दूर रहने की मजबूरी में टोटल इनसिक्योर फील कर रहे थे। बाहर निकलें भी तो कैसे, एक तो कोरोना का खौफ़ ऊपर से पुलिस से पीटे जाने का डर।
जैसे ही मोदी जी का भाषण खत्म हुआ, मिश्रा जी ने गाँव में पिया की राह देख रही अपनी धर्मपत्नी को फोन लगा दिया। फोन लगाते ही कॉलर ट्यून बजने लगा, "रात हम देखली सपनवा कि सइयाँ घरे अइहें।"
एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा। एक हफ्ते से अवसाद ग्रस्त 2020 के कबीर सिंह बने मिश्रा जी, घर आने वाला गाना सुनकर और भड़क गए। धर्मपत्नी के फोन उठाते ही उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया।
"ये क्या गाना लगा रखा है तुमने, सब कुछ बंद है तो कैसे घर आऊँ।"
"अरे त खिसिया काहे रहे हैं, हम थोड़े ना बंद किये हैं। हमरे दिल के दरवाजा त आपके लिए हरदम खुला है।"
"ठीक है, ठीक है, देखते हैं कवनो जुगाड़। एक काम करो, तुम पड़ोस वाले डॉक्टर बंशी जी के घर चले जाओ और अपने बीमार होने की पुरानी रिपोर्ट को फिर से बनवाकर मुझे वाट्सएप्प करो।"
"लेकिन जी, हम तो एकदम ठीके हैं।"
" अरे तुम समझती नहीं हो, अगर हमें देखना चाहती हो तो बस यही एकमात्र उपाय है। रिपोर्ट लेकर हम आएंगे तो कोई पुलिस नहीं पकड़ेगा।"
मिश्रा जी ने इस बार नरम आवाज़ में प्यार से अपनी पत्नी को समझाया और फोन काट दिया।
प्रेम कितने जुगाड़ करवा देता है ना!
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©नीतिश तिवारी।
11 Comments
Bht badia likha h nitish ji
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteधन्यवाद।
ReplyDeleteवाह!बेहतरीन!
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteसटीक।
ReplyDeleteमाँ जगदम्बा की कृपा आप पर बनी रहे।।
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घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें
आभार।
Deleteअच्छा व्यंग्य।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteसही कहा घर आने के जुगाड़ में लोग कुछ भी करने को उतारू हैं फिर पत्नी की बिमारी या माँ की मौत....
ReplyDeleteवाह!!!!
शानदार लिखा है आपने...।
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।